दिव्यांग व्यक्ति को अदालत ने सुनाई 3 साल की सजा
मुंबई। खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर लोगों को ठगने वाले दिव्यांग व्यक्ति को मुंबई की एक विशेष अदालत ने 3 साल जेल की सजा सुनाई। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश वीपी देसाई ने आरोपी अश्विनी कुमार शर्मा को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया।
विशेष लोक अभियोजक संदीप सिंह ने कहा कि शर्मा अपनी दिव्यांगता के कारण व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने में असमर्थ था, लेकिन जब फैसला सुनाया गया तो वह वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उपस्थित हुआ।
80% दिव्यांगता का सामना कर चुका अश्विनी कुमार
सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए विशेष जज के सामने पेश होने की इजाजत दे दी थी। अश्विनी कुमार ने पिछले महीने विशेष सीबीआई अदालत द्वारा उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करने और अदालत में पेश होने के निर्देश देने के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उन्होंने दावा किया कि एक दुर्घटना के बाद वह 80 प्रतिशत दिव्यांगता का सामना कर चुके हैं और इसलिए वह शारीरिक रूप से अदालत के सामने पेश नहीं हो पाएंगे।
राकेश रोशन से भी की धोखाधड़ी
बता दें कि अश्विनी कुमार हरियाणा के पानीपत जिले में अपने परिवार के साथ रह रहे हैं और वहीं से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कोर्ट में पेश होने की अनुमति मांगी थी। इसके अलावा उन्होंने वचन दिया था कि वह इस आधार पर फैसले को अवैध नहीं मानेंगे कि वह शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं थे। मामले में एक अन्य आरोपी राजेश राजन को पहले ही 2022 में दोषी ठहराया जा चुका है। शर्मा और राजन को 2011 में राकेश रोशन जैसी फिल्मी हस्तियों और व्यापारियों सहित 200 से अधिक लोगों को धोखा देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
खुद को CBI अधिकारी बताकर करते थे ठगी
जांच एजेंसी के मुताबिक, आरोपी ने 2006 से खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर लोगों को ठगा है। उन्होंने राकेश रोशन से एक नागरिक मामले को निपटाने के लिए पैसे की मांग की। रोशन ने कथित तौर पर ठगों को 50 लाख रुपये का भुगतान किया और बाद में जब उनका मामला नहीं सुलझा तो उन्होंने सीबीआई की भ्रष्टाचार विरोधी शाखा से संपर्क किया।
सीबीआई के अनुसार, दोनों ने मुंबई में आदर्श बिल्डिंग से संबंधित एक कथित घोटाले में आरोपी एक राजनेता से भी संपर्क किया था और कुछ लाख रुपये के बदले में उसके खिलाफ मामले को कमजोर करने में मदद करने का वादा किया था।
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