सालों जेल में गुजारे उसका मुआयजा कौन देगा
रवि निषाद/मुंबई। वर्ष 2016 में घटित देवनार डंपिंग ग्राउंड अग्निकांड के सभी आरोपी आखिर में निर्देश साबित हो गए है।बताया जाता है की इस अग्निकांड में पकड़े गए आरोपियों पर पुलिस ने मकोका के तहत भी कार्यवाई की थी।जबकि वे आरोपियों का उस अग्निकांड से कही दूर दूर का रिश्ता नहीं था।जिसके चलते न्यायालय ने सभी आरोपियों को निर्दोष बताया है।अब सवाल यह उठता है की ऐसे निर्दोषो को सालों तक जेल में ठूसने वालो के खिलाफ क्या कार्यवाई होगी ।जिसका उन आरोपियों को बेसब्री से इंतजार रहेगा ।
गौरतलब है की वर्ष 2016 में गोवंडी के देवनार डंपिंग ग्राउंड में भीषण आग लगी थी।जिसके चलते पूर्वी उपनगर के अधिकतर इलाके धुंआमय हो गए मुंबई उपनगर के 50 से अधिक स्कुलो प्रशासन बंद कर दिया था।तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के आदेश पर हुई जांच प्रक्रिया के बाद पुलिस ने 17 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया था।जिसमे यहां के प्रसिद्द भंगार ब्यवसाई अतीक खान व उनके भाई रफीक खान को भी पुलिस ने इस मामले में राजनेताओ के दबाव में आरोपी बनाया था।इतना ही नहीं उन लोगो पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत कार्यवाई की गई थी।
बताया जाता है की इस मामले में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने बीएमसी के अधिकारियो सहित कुल 12 गवाहों से पूछतांछ की थी।वर्ष 2016 लड़ाई लड़ाई लड़ने वाले बेगुनाह आरोपियों का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता अमिन सोलकर व उनकी टीम की दलीले सुनने के बाद अभियोजन पक्ष के साक्षय को कमजोर देखते हुए गत सप्ताह मा.न्यायालय उन सभी 17 आरोपियों को निर्दोष करार दिया है।जिसके चलते सभी आरोपी निर्दोष बरी हो गए है।
अब सवाल यह उठता है की पुलिस ने राजनेताओ के दबाव व अलग अलग शोसल मिडिया में फैली बेबुनियाद खबरों के चलते जिन लोगो को आरोपी बना कर सलाखों के पीछे डाला और उन्हें सालो तक जेल में गुजारने को मजबूर किया उनको मुआवजा कौन देगा।करीब 6 साल दर दर की ठोकर खाने वाले बेगुनाहो के हित में सरकार अथवा संबंधित अधिकारी क्या निर्णय लेते हैं जिसका उन्हें बेसब्री से इंतजार है !
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