देवनार की बकरा मंडी में हर साल की अपेक्षा तेजी नहीं
मुंबई।
मुस्लिम भाइयो का धार्मिक त्यौहार बकरा ईद 17 जून को है।जिसके लिए देश के कोने कोने से बकरा देवनार मंडी में कुर्बानी के लिए लाए जा रहे हैं।लेकिन बकरा खरीदने में इस बार मुस्लिम समाज कोई ख़ास दिल चसबी ने दिखा रहा है।जिसके कारण यहां की मंडी में बकरो की विक्री आज तक के आकड़ो के मुताबिक़ बेहद कम दिखाई दे रही है।
गौरतलब है की हर साल करीब 3 लाख बकरे देवनार मंडी में आते थे।जिसमे केवल 20 से 25 हजार बकरे ही बचते थे।बाकी के सभी के सभी मुस्लिम भाइयो द्वारा कुर्बानी के लिए खरीदे जाते थे।इस बार 5 जून से शुरू हुए मंडी में अब तक मतलब बुधवार 12 जून शाम 6 बजे तक केवल 1 लाख 42 हजार 86 बकरे ही देवनार की मंडी में पहुंच पाए थे।जिसमे से 29 हजार 281 बकरे ही बिक पाए थे बाकी के बकरे जस के तस दिखाई दिए।इस संदर्भ में जब यहां दूर दराज से आए कई ब्यापरियो से बात की गई तो मालुम पड़ा की बकरो की कीमत के चलते इस बार की मंडी में उतनी विक्री नहीं हो पा रही है जितनी होनी चाहिए।एक अन्य ब्यापारी ने बताया की यहां असुविधाओं का भंडार है।जिसके चलते अधिकतर ब्यापारी कल्याण भिवंडी अथवा वसई की मंडी का रुख कर लिए हैं।इसलिए यहां इस बार बकरो की संख्या हर साल की अपेक्षा कम है।रफीक शेख नामक मध्य प्रदेश के एक ब्यापारी ने बताया की यहां चौतरफा भ्र्ष्टाचार है।वाड़ो के लिए 25 से 50 हजार दलाल व देवनार प्रशासन और यहां के डॉक्टरो की सांठगांठ के चलते देने के बाद ही वाडे मिल पा रहे हैं।रहमान शेख ने बताया हमे वाङा मिलने में नाको चने चबाने पड़े तब जाकर एक वाङा मिल पाया है।जो की बिलकुल घटियाँ दर्जे का है।बिजली पानी जैसी सुविधाए भी नहीं है।वाडे में बड़े बड़े पत्थर ही पत्थर पड़े है।जिसके कारण बकरे काफी परेशान हैं।यह सब बाते सुन कर ही कुछ ब्यापारी कल्याण भिवंडी व वसई की तरफ रुख कर लिए हैं।और यहां बकरे की विक्री पर असर पड़ रहा है।
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