हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत देने से किया इनकार
मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक लड़की के साथ 10 साल की उम्र से बार-बार दुष्कर्म करने के आरोपी व्यक्ति को जमानत देने से इनकार
कर दिया है और कहा है कि इस भयानक अपराध के कारण पीड़िता "निम्फोमेनियाक" बन गई है। जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की
एकल पीठ ने सोमवार को फैसले में आरोपी द्वारा दायर जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अपराध न केवल एक
विवेकशील व्यक्ति की अंतरात्मा को झकझोरने वाला है बल्कि अप्रिय भी है।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में शब्दश: पीड़िता द्वारा अपनी आपबीती का वर्णन करते हुए लिखी गई 27 पेज की डायरी का हवाला दिया
और कहा, "उसकी मानसिक, मनोवैज्ञानिक और शारीरिक स्थिति और आरोपी के हाथों हुई दरिंदगी के प्रभाव का वर्णन करने के लिए शब्द कम पड़ जाएंगे।"
हाईकोर्ट ने कहा, "आवेदक द्वारा किया गया कथित अपराध न केवल किसी भी विवेकशील व्यक्ति की अंतरात्मा को झकझोर देने
वाला है, बल्कि घृणित भी है। ऐसे भयानक अपराध के कारण पीड़िता एक निम्फोमेनियाक बन गई है।"
पीड़िता के माता-पिता ने दावा किया कि आरोपी और उसकी पत्नी ने इस बात का फायदा उठाया कि लड़की के पिता दुबई में काम
करते थे। उन्होंने दावा किया कि उन्हें अपराध के बारे में तभी पता चला जब उन्हें 2021 में पीड़िता की डायरी उसके कमरे से मिली,
जब वह 17 साल की थी। लड़की एक लड़के के साथ भाग गई थी जिसके बाद उसके माता-पिता ने उसके कमरे की तलाशी ली थी।
डायरी में पीड़िता ने दावा किया कि जब वह चौथी कक्षा में थी तभी से आरोपी व्यक्ति ने उसके साथ दुष्कर्म करना शुरू कर दिया था
और उसकी पत्नी को इसके बारे में पता था। उसने दावा किया कि आरोपी उसे एक गोली देता था जो जाहिर तौर पर यौन उत्तेजित
करती थी।
लड़कियों के माता-पिता ने डायरी देखने के बाद 2021 में उस व्यक्ति और उसकी पत्नी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
पत्नी को विशेष अदालत ने जमानत दे दी थी। लेकिन उस व्यक्ति की जमानत खारिज कर दी गई, जिसके बाद उसने जमानत के
लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
बंबई हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी की पत्नी ने जानबूझकर गैरकानूनी कृत्यों में सहायता की और उकसाया और वह भी समान रूप से
दोषी प्रतीत होती है। पीठ ने यह भी कहा कि लड़की की डायरी के अनुसार, उसने कथित दुष्कर्म के बारे में अपनी मां को बहुत पहले
ही बता दिया था। लेकिन सामाजिक कलंक के कारण मां ने कोई कार्रवाई नहीं की।अदालत ने कहा कि ज्यादातर मामलों में यौन शोषण करने वाले बच्चे के परिचित व्यक्ति होते हैं। कोर्ट ने कहा कि आरोपी को जमानत देना पीड़िता के घावों को और अधिक बढ़ाने और सड़ाने के समान होगा जो अभी भी उसके दिमाग, शरीर और आत्मा में ताजा हैं।
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