5 सालों में 159 पर्सेंट इजाफा
मुंबई: नसबंदी कराने को लेकर ज्यादातर पुरुष उपेक्षा का भाव रखते रहे हैं, लकिन अब मुंबई में इसे लेकर एक अलग ही तस्वीर सामने आई है। साल दर साल पुरुष नसबंदी के गिर रहे ग्राफ के बाद अचानक 2023 में पुरुषों की रुचि इसमें बढ़ी है। पिछले साल नसबंदी कराने वालों में 159 फीसदी का इजाफा हुआ है।
वहीं, दूसरी तरफ महिलाओं में नसबंदी कराने की रुचि कम हुई है। उनमें 27 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। महिलाओं की नसबंदी से कम जटिल और जोखिम पुरुषों की नसबंदी में होती है। आमतौर पर जब भी परिवार नियोजन की बात आती है, तो महिलाओं पर ही नसबंदी का दबाव पड़ता है। अब भी पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक संख्या में नसबंदी करवाती हैं। हालांकि वर्ष 2022-23 में पुरुषों की नसबंदी के आंकड़े में वृद्धि हुई है।
बीएमसी स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2018-19 में 185 पुरुषों ने अपनी नसबंदी करवाई थी। इसके बाद साल दर साल आंकड़ा गिरता चला गया। 2019-20 में 116, 2020-21 में 49, 2021-22 में 58 लोगों ने नसबंदी करवाई, लेकिन 2022-23 में 480 पुरुष ने नसबंदी करवाई है।
बीएमसी स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पुरुषों को लगता है कि उनके नसबंदी कराने से उनके सेक्शुअल जिंदगी पर इसका असर पड़ेगा। यह सबसे बड़ा भ्रम है। ऐसा कुछ नहीं होता है। इसके लिए हमारे डॉक्टर्स, सीएचवी दंपती को समझाते हैं। पुरुषों को इंसेंटिव्स तो देते ही हैं। उनकी दुविधाओं का भी निवारण करते हैं। इसी के सरकार उन्हें लगभग 1,420 रुपये इंसेंटिव भी देती है।
पुरुष की नसबंदी करने मात्र 30 मिनट का समय लगता है और जोखिम भी कम होता है, जबकि महिलाओं की ओपन सर्जरी होती है और जान जाने का भी खतरा होता है।
बीएमसी स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पुरुषों में नसबंदी का ग्राफ बढ़ने में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भी सहायता कर रहा है। डॉक्टरों को रिप्रेजेंट करनेवाले संगठन आईएमए ने पहल कर वर्ली में नसबंदी का एक केंद्र खोला है। सरकारी इंसेंटिव्स के अलावा आईएमए नसबंदी कराने वाले पुरुषों को लगभग 10,000 रुपये देता है। यानी बीएमसी के साथ आईएमए परिवार नियोजन में मदद कर रहा है।
पिछले 5 वर्षों में महिलाओं की नसबंदी में लगभग 27 की गिरावट दर्ज की गई है। बीएमसी स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2018-19 में 19263 महिलाओं ने नसबंदी की सर्जरी करवाई थी। वहीं 2022-23 में 14029 महिलाओं ने नसबंदी के लिए सर्जरी करवाई।
बीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आजकल लोग नसबंदी के लिए स्थायी उपाय के बजाय टेंपरेरी सॉल्यूशन अपना रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि लोग कंडोम और ओरल कंट्रेसेप्टिव पिल्स का उपयोग कर सर्जरी से बच रहे हैं। हम यह भी पता करने की कोशिश करेंगे कि आखिर कितने लोग टेंपरेरी सॉल्यूशन को अपना रहे हैं।
मुंबई में बीएमसी के 28 प्रसूति गृह, 17 उपनगरीय अस्पताल और 4 मेडिकल कॉलेज निशुल्क नसबंदी की जाती है। बीएमसी स्वास्थ्य विभाग के एफ साउथ वार्ड में एक समर्पित नसबंदी प्रशिक्षण और ऑपरेशन थिएटर है। यदि कोई पुरुष नसबंदी सर्जरी के लिए आता है, तो उसी दिन पूछताछ, परीक्षण आदि कर सर्जरी कर दी जाती है। पुरुष नसबंदी तीन महीने के बाद सफल होती है। इसके बाद तीन महीने के बाद पुरुष के शुक्राणु का परीक्षण किया जाता है और गिनती शून्य होने पर नसबंदी प्रमाणपत्र जारी किया जाता है।
Kommentare