मुंबई: महाराष्ट्र से शिवसेना सांसद राहुल शेवाले ने मंगलवार (12 मार्च) को बड़ा दावा किया. राहुल शेवाले ने कहा कि उन्होंने ब्रिटिश काल के आठ स्थानीय स्टेशनों के नाम बदलने को लेकर महाराष्ट्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था, जिसे प्रदेश सरकार ने हरी झंडी दे दी है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इसे केंद्र सरकार को भेजा जाएगा. साउथ सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र से शिवसेना सांसद राहुल शिवाले ने एक प्रेस रीलीज जारी कर ये सूचना दी.
सांसद राहुल शेवाले ने सरकार से मांग की है कि सेंट्रल रेलवे के तहत आने वाले मुंबई के करी रोड स्टेशन का नाम बदलकर लालबाग रेलवे स्टेशन किया जाए, इसके अलावा सैंडहर्स्ट रोड रेलवे स्टेशन का नाम डोंगारी करने, कॉटन ग्रीन का कालचौकी, डॉकयार्ड रोड को मझगांव और किंग सर्कल स्टेशन का नाम बदलकर तीर्थकर पार्श्वनाथ रेलवे स्टेशन करने की मांग की है. इसी क्रम में मरीन लाइंस रेलवे का नाम बदलकर मुंबादेवी, चर्नी रोड रेलवे स्टेशन को गिरगांव और मुंबई सेंट्रल का नाम बदलकर नाना जगन्नाथ शंकरसेठ स्टेशन करने की मांग की है.
इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई सेंट्रल का नाम बदलकर नाना जगन्नाथ शंकरशेठ स्टेशन करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को पहले ही भेज दिया है. इस दौरान सांसद राहुल शेवाले ने आगे कहा कि आम लोगों की मांग पर केंद्र सरकार कॉलोनियल निशानों को मिटाना चाहती है. इसको लेकर लोग हमेशा से मांग उठाते रहे हैं. खाकी हेरिटेज फाउंडेशन के संस्थापक भरत गोथोस्कर ने कहा कि रेलवे स्टेशनों, सड़क या चौराहों का नाम नहीं बदला जाना चाहिए क्योंकि उनके साथ इतिहास जुड़ा होता है.
इसको लेकर इतिहासकार भरत गोथोस्कर ने कहा सभी स्टेशनों जैसे चरनी रोड और मरीन लाइंस का कनेक्शन कॉलोनियल काल से नहीं जुड़ा है. उन्होंने कहा कि चरनी मराठी शब्द है. चरनी रोड का नाम पशुओं के चरागाह के नाम पर रखा गया है. इसी तरह मरीन लाइंस का नाम धोबी तालाब के पास मौजूद बैरक के नाम पर रखा गया है. इन दोनों ही नामों का कॉलोनियल काल से कोई कनेक्शन नहीं है.
इसलिए नाम बदलने का कोई मतलब नहीं बनता है. साल 2017 में केंद्र सरकार ने सांसद राहुल शेवले के स्टेशन के नाम बदलने को लेकर सवाल खड़ा करते हुए भरत गोथोस्कर ने कहा कि ग्रैंड रोड और रे रोड के नाम के बदलाव को लेकर मांग नहीं की गई, हालांकि ये नाम ब्रिटिश गर्वनरों के नाम पर रखा गया है. एलफिंस्टन रोड लोकल स्टेशन का नाम बदल दिया था, जिसे लॉर्ड एलफिंस्टन के नाम से जाता जात है. 1853 से 1860 तक ये बॉम्बे प्रेसीडेंसी के अंतर्गत आता था. इससे पहले साउथ मुबंई में स्थित फेमस छत्रपति शिवाजी का नाम बदलकर मामूली बदलाव के साथ महारज छत्रपति स्टेशन कर दिया गया.
कुछ दिनों पहले ही मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस में 'महाराज' शब्द जोड़ा गया था, जिसके बाद अब टर्मिनस का पूरा नाम छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस हो गया है. एक समय था, जब इसका नाम ग्रेट ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के नाम पर विक्टोरिया टर्मिनस भी रखा गया था.
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