मुंबई। हाथापाई के दौरान किसी महिला के बाल खींचना छेड़छाड़ नहीं है।हाईकोर्ट ने अहम फैसला देते हुए कहा कि छेड़छाड़ में मंशा साफ होनी चाहिए।एक ऐसा कार्य जो किसी महिला को शर्मसार करता है वह व्यभिचार है।लड़ाई के दौरान किसी महिला के बाल खींचने या उसे धक्का देने में कोई शर्म नहीं है।ये झड़प का हिस्सा है।उस पर मारपीट का मामला दर्ज किया जा सकता है। न्यायाधीश ने कहा,ऐसे मामले में छेड़छाड़ के अपराध को शामिल नहीं किया जा सकता है।न्यायाधीश रेवती मोहिते- डेरे और न्यायाधीश पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ ने समझाया.
आरोपियों ने महिला के बाल खींचे वह अचंभित थी।ऐसा महिला ने अपने जवाब में कहा है. याचिकाकर्ता के वकील अनिकेत निकम ने अदालत से मांग की है कि वो पुलिस को आरोपी के खिलाफ छेड़छाड़ की धारा 354 के तहत मामला दर्ज करने का आदेश दे।बाल खींचना या धक्का देना छेड़छाड़ की परिभाषा में नहीं आता है. महिला ने भी जवाब में ऐसा नहीं कहा है पीठ ने याचिका कर्ता की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि छेड़छाड़ का मकसद स्पष्ट होना चाहिए।हालांकि सहायक पुलिस निरीक्षक रमेश केंगार ने जांच के बाद सभी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है.
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