भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में आज एक से बढ़कर एक फिल्म बन रही हैं। जहां भोजपुरी निर्माताओं ने अपने कंटेंड में सुधार किया है, वही सेंसर बोर्ड भोजपुरी फिल्मों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है। इसका ताजा उदाहरण है वर्ल्डवाइड रिकार्ड्स के एमडी व फिल्म मेकर रत्नाकर कुमार की भोजपुरी फिल्म 'जया'। जिसे सेंसर बोर्ड द्वारा समय पर सर्टिफिकेट प्रदान नहीं किया गया है। अगर आसान शब्दों में कहें तो सेंसर बोर्ड द्वारा भोजपुरी इंडस्ट्री की उपेक्षा की जा रही है। जिसका खामियाजा निर्माताओं को भुगतना पड़ रहा है।
'जया' को जनवरी के पहले या दूसरे वीक में सेंसर बोर्ड में जमा कर दिया गया था। उस समय फिल्म की रिलीज डेट 9 फरवरी फाइनल कर दी गई थी। लेकिन एकाएक सेंसर बोर्ड के द्वारा फिल्म जया को सेंसर सर्टिफिकेट नहीं दिया गया। जिससे ये फिल्म सेंसर में अटक कर रह गई। सेंसर बोर्ड की इसी बेरुखी से फिल्म मेकर रत्नाकर कुमार से लेकर फिल्म की पूरी स्टारकास्ट चिंतित दिखाई दे रही है।
वर्ल्डवाइड रिकार्ड्स के एमडी और फिल्म निर्माता रत्नाकर कुमार ने कहा कि सेंसेर बोर्ड से जया को अब तक सर्टिफिकेट नहीं मिल पाया है। जिससे हमें काफी नुकसान उठाना पड़ा रहा है। बोर्ड की ये बेरुखी मेरी समझ के परे है कि वे फिल्म को समय नहीं दे पा रहे हैं यह एक बड़ी चिंता का विषय है। मैं बोर्ड से अपील करता हूँ कि मेरी फिल्म पर ध्यान देकर उसे उचित प्रमाण पत्र प्रदान करे।
गौरतलब है कि जया एक ऐसी फ़िल्म है जो महिलाओं के प्रति समाज में हो रहे ऊंच नीच, जात पात, लिंग भेद पर करारा प्रहार करती है। सेंसर सर्टिफिकेट नहीं मिलने से निर्माता रत्नाकर कुमार और उनके सहयोगी निर्माताओं को बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस फिल्म 9 फरवरी को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने वाली थी, लेकिन किन्हीं कारणों से इसे सेंसर सर्टिफिकेट नहीं मिल पाया। वहीं निर्माताओं ने इसकी पब्लिसिटी के ऊपर काफी ज्यादा पैसा खर्च कर दिया था। लेकिन बोर्ड के सौतेले व्यवहार के चलते अब तक फिल्म के प्रदर्शन का कोई आता पता नहीं है। अब जब भी फ़िल्म 'जया' को बोर्ड की हरी झंडी मिलेगी तब फिर से निर्माता की जेब ढीली होगी, जिससे फिल्म ओवर बजट होती हुई नजर आ रही है। अब देखना ये होगा कि सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी महोदय कब तक इसे सही करते हैं।
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