रखरखाव के प्रति मनपा है उदासीन
मुंबई। नगर और उपनगरों में पेय जल आपूर्ति करने वाली मनपा की जलवाहिनियों की सुरक्षा को लेकर प्रश्न चिन्ह खड़ा किया जा रहा है। खास बात यह है कि उपनगर के अनेक इलाकों में जलवाहिनियो के समीप अवैध रूप से अतिक्रमण होने के बावजूद भी मनपा जलवाहिनियों के रखरखाव के प्रति उदासीन बनी हुई है। जबकि अनेक जगहों पर उक्त जलवाहिनियों में रिसाव खुले आम देखा जा सकता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मुंबई को जलापूर्ति करने वाली तुलसी, मध्य वैतरणा और विहार लेक से अंग्रेजों के जमाने से बिठाई गईं 48इंच की जलवाहिनियाँ उपनगर के अनेक इलाकों से होकर गुजरती हैं। जिसमें प्रमुख रूप से थाने, भांडुप, पवई फिल्टरपाडा, तूंगा गांव, साकीनाका, घाटकोपर जीवदया लेन, विद्याविहार किरोल अंधेरी पूर्व का मरोल और बांद्रा भारत नगर झोपड़पट्टी का समावेश है। देखने में आया है कि पवई के फिल्टरपाड़ा, मोरारजी नगर, मरोल गांव, असल्फा विलेज और भांडुप में अनेक ठिकानों पर जलवाहिनियोंं के समीप अवैध अतिक्रमण हो चुके हैं। कहीं कहीं तो जलवाहिनियों पर कचरा भी फेंका जा रहा है। उसके बाद भी मनपा जलवाहिनियों की सुरक्षा के प्रति उदासीन बनी हुई है।
राकांपा मुंबई प्रदेश के सचिव संजीव उपाध्याय ने बताया कि पानी की पाइप लाइनो के किनारे से झोपड़पट्टियों को दस मीटर की दुरी तक हटाने के लिए मनपा प्रशासन की ओर से दो साल पहले अभियान चलाया गया था तथा प्रभावित झोपड़ों का पुनर्वसन चेंबूर के माहुल गांव में कराया गया। लेकिन मनपा द्वारा पाइप लाइन के किनारे से झोपड़पट्टियों को हटाने को मुहिम पर रोक लगाने से बड़ी संख्या में झोपड़े अब भी पाइप लाइनो के किनारे बसे हुए हैं। यहां तक पवई के मोरारजी नगर ओर मरोल में अनेक जगहों पर पानी की पाइपों पर कचरा भी फेंका जा रहा है। संजीव उपाध्याय ने कहा कि जल ही जीवन है। मुंबई में पानी की आपूर्ति करने वाली जलवाहिनिया मुंबई के लोगो के लिए प्राण हैं। ऐसे में पानी की पाइपों की सुरक्षा करना मनपा का नैतिक कर्तव्य है।