मुंबई। गुरुवार को मलाड में रेल विकास कार्य शुरू होने के दौरान रेलवे ट्रैक के किनारे से झोपड़पट्टियों को हटाने का काम शुरू किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल है कि सरकार की ओर से हर झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले को वैकल्पिक घर दिया जाए। सरकारी अधिकारी इन पहलों को भूल जाते हैं और अचानक आ जाते हैं और वैकल्पिक स्थलों की व्यवस्था किए बिना झोपड़पट्टियों को ध्वस्त कर देते हैं।
इस दौरान उत्तर मुंबई से भाजपा सांसद गोपाल शेट्टी घटनास्थल पर पहुंच गए।अधिकारीवर्ग से मलाड में रेलवे की जमीन पर झुग्गी बस्ती के लिए पुनर्वास योजना पर भी चर्चा की। इस अवसर पर सां. शेट्टी सहित भाजपा के सैकड़ों नेता, पदाधिकारी एवं नागरिक उपस्थित थे।
सांसद गोपाल शेट्टी ने कहा कि, “केंद्र सरकार ने आवास योजना की घोषणा की है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र सरकार की जमीन पर झुग्गी-झोपड़ी वालों को वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराने के लिए एक कानून बनाया है। और रेलवे अधिकारियों को प्रधानमंत्री के आदेश को मानना नहीं है। और मैं अधिकारियों का निश्चित रूप से विरोध करूंगा जो प्रधानमंत्री के आदेशों और पहलों को स्वीकार नहीं करते हैं।
मैं बस इतना ही कहना चाहता हूं कि “जब विकास कार्य का आरंभ हो रहा हो, तब उस भूमि पर प्रभावित झुग्गी बस्तियों का समुचित और विधिपूर्वक पुनर्वास किया जाए। विकास कार्य होना चाहिए। आने वाले समय में रेलवे लाइन को बढ़ाया जाए। इसके लिए आवश्यक निर्णय लिया जाएगा। और झुग्गी झोपड़पट्टी बस्तियों को हटाना होगा। इस मलाड रेलवे भूमि पर झुग्गीवासियों के पास १९९० के सभी सरकारी प्रमाण हैं।
आज मुंबई शहर में १८० फीट और २२५ फीट के हजारों सरकारी घर पंद्रह या बीस साल से बंद पड़े हैं। ३०० फीट का घर देने के फैसले के बाद से कोई भी कम फीट का घर नहीं स्वीकार करते। मैं इन झोपड़पट्टीवासियों को समझाऊंगा और यह रेलवे इन सभी बस्तियों को रेलवे जमीन से हटाने में मदद करुंगा । इस संदर्भ में मैंने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री को पत्र भी लिखे हैं । इसके अलावा, मेरा निवेदन है कि रेलवे अधिकारियों, केंद्र सरकार के अधिकारियों और राज्य सरकार के अधिकारियों, मंत्रियों की एक संयुक्त बैठक आयोजित की जानी चाहिए। लेकिन जब विकास कार्य चल रहा हो, वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। गरीब लोगों के साथ अन्याय कर विकास कार्य करना ठीक नहीं है।”